Dr Aastha Pathak
10 Mar
10Mar


परिचय

पुनर्नवा एक बहुवर्षीय औषधीय पौधा है, जो मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। इसे आयुर्वेद और होम्योपैथी में विभिन्न रोगों के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है।इसका वैज्ञानिक नाम Boerhavia diffusa है और इसे 'स्प्रेडिंग हॉगवीड' (Spreading Hogweed) के नाम से भी जाना जाता है। यह पौधा सूजनरोधी, मूत्रवर्धक और हेपेटोप्रोटेक्टिव गुणों के लिए प्रसिद्ध है।


पौधे का विवरण

  • पुनर्नवा एक बारहमासी, रेंगने वाला और शाखाओं वाला पौधा है।
  • इसके पत्ते छोटे, मोटे और मांसल होते हैं।
  • इसके फूल छोटे, गुलाबी, सफ़ेद या लाल रंग के होते हैं।
  • यह विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में उग सकता है और इसकी वृद्धि वर्षा ऋतु में अधिक होती है।
  • भारत, एशिया और अफ्रीका में इसकी पत्तियों का उपयोग खाद्य पदार्थ के रूप में भी किया जाता है।

पुनर्नवा के औषधीय गुण एवं चिकित्सकीय लाभ

1. गुर्दे एवं मूत्र मार्ग की समस्याओं में लाभकारी

  • पुनर्नवा में मूत्रवर्धक (Diuretic) गुण होते हैं, जो शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ को बाहर निकालने में सहायक होते हैं।
  • यह गुर्दे की सूजन (Nephritis), किडनी फेल्योर, मूत्र संक्रमण (UTI) और पथरी को दूर करने में प्रभावी है।
  • अध्ययन बताते हैं कि पुनर्नवा में मौजूद फ्लेवोनोइड्स और एल्कलॉइड्स, किडनी की कार्यक्षमता को बढ़ाने में सहायक होते हैं।

2. यकृत (लीवर) के स्वास्थ्य के लिए प्रभावी

  • पुनर्नवा में हेपेटोप्रोटेक्टिव (Hepatoprotective) गुण होते हैं, जो यकृत को विषाक्त प्रभावों से बचाते हैं।
  • यह हेपेटाइटिस, फैटी लिवर, और लिवर सिरोसिस में लाभकारी हो सकता है।
  • अध्ययन बताते हैं कि पुनर्नवा लिवर एंजाइम्स (ALT, AST) के स्तर को नियंत्रित कर सकता है।

3. सूजनरोधी (Anti-inflammatory) प्रभाव

  • पुनर्नवा में मौजूद बायोएक्टिव कम्पाउंड्स सूजन को कम करने में सहायक होते हैं।
  • यह गठिया (Arthritis), संधिवात (Rheumatism) और जोड़ों के दर्द में राहत प्रदान करता है।
  • पुनर्नवा की पत्तियों का सोंठ के साथ सेवन करने से गठिया में लाभ होता है।

4. हृदय स्वास्थ्य में सहायक

  • पुनर्नवा में एंटीहाइपरटेंसिव (Antihypertensive) गुण होते हैं, जो उच्च रक्तचाप (Hypertension) को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
  • यह रक्त वाहिकाओं को विस्तारित कर रक्त प्रवाह को सुचारू करता है, जिससे हृदय रोगों का खतरा कम होता है।

5. मधुमेह (Diabetes) नियंत्रण में प्रभावी

  • पुनर्नवा में एंटी-डायबिटिक (Antidiabetic) गुण होते हैं, जो रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
  • यह ग्लूकोज मेटाबोलिज्म को सुधारकर इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ा सकता है।

6. एनीमिया (Anemia) और पोषण में सहायक

  • पुनर्नवा आयरन और आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो रक्ताल्पता (Anemia) के उपचार में सहायक है।
  • यह शरीर की ऊर्जा को बढ़ाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को सुधारने में सहायक हो सकता है।

7. प्रोस्टेट ग्रंथि के विकारों में लाभकारी

  • पुनर्नवा प्रोस्टेट ग्रंथि की सूजन और वृद्धि (Benign Prostatic Hyperplasia - BPH) को नियंत्रित करने में सहायक है।
  • प्रोस्टेट विकारों में पुनर्नवा की जड़ का चूर्ण उपयोगी माना जाता है।

8. नेत्र स्वास्थ्य में उपयोगी

  • पुनर्नवा का सेवन नेत्र ज्योति को बढ़ाने में सहायक हो सकता है।
  • यह मोतियाबिंद (Cataract) और मायोपिया (Myopia) में लाभकारी माना जाता है।

पुनर्नवा के उपयोग के तरीके

  • चूर्ण (Powder): पुनर्नवा की जड़, तना, पत्तियों को सुखाकर पीसकर चूर्ण बनाया जाता है।
  • काढ़ा (Decoction): पुनर्नवा की जड़ को पानी में उबालकर काढ़ा तैयार किया जाता है।
  • रस (Juice): ताजे पत्तों का रस मूत्रवर्धक और लिवर टॉनिक के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • तेल (Oil): पुनर्नवा के तेल का उपयोग जोड़ों के दर्द और सूजन में किया जाता है।
  • सब्जी (Vegetable): पुनर्नवा के पत्तों की भाजी बनाई जाती है, जो पौष्टिक होती है।

सावधानियां एवं मतभेद

  • पुनर्नवा की प्रकृति गर्म होती है, इसलिए इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट में जलन हो सकती है।
  • गर्भवती महिलाओं को पुनर्नवा का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह गर्भाशय संकुचन (Uterine Contractions) को बढ़ा सकता है।
  • कोई भी औषधीय उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक या होम्योपैथिक डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक है।

निष्कर्ष

पुनर्नवा एक बहुगुणी औषधीय पौधा है, जो गुर्दे, यकृत, मधुमेह, हृदय स्वास्थ्य और संधिवात जैसी कई बीमारियों में लाभकारी हो सकता है। इसके वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित औषधीय गुण इसे आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा में एक महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करते हैं। सही मात्रा और विधि से इसका उपयोग करने पर यह शरीर को पुनः ऊर्जावान और स्वस्थ बनाए रखने में सहायक हो सकता है।

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